पर्यावरण | पारिस्थितिकी तंत्र

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 पारिस्थितिकी तंत्र (ECOSYSTEM)

जीवो के समुदाय और साथ ही वह पर्यावरण जिसमें में निवास करते हैं, पारिस्थितिकी तंत्र कहलाता है. ओडम के अनुसार  जैविक समुदाय और अजैविक घटकों के  अंतर्संबंधों से निर्मित  संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई को पारिस्थितिकी तंत्र कहते हैं.



पारिस्थितिकी(Ecology)

यह ग्रीक भाषा के शब्द ओकोस(oikos) अर्थात घर और लोगोस(logos) अर्थात अध्यनन से मिलकर बना है । इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अर्नेट्स हैकल किया था ।

पारिस्थितिकी तंत्र के घटक 

इसके तीन घटक है - अजैव घटक , जैविक घटक और ऊर्जा संघटक ।

अजैविक घटक -ऐसे निर्जीव पदार्थ जो जीवो को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं अजैविक घटक कहलाते हैं जैसे मिर्धा हवा जल कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ।

अजैवीय घटकों  को मुख्य रूप से चार भागों में बांट सकते हैं-

  • जलवायु संबंधी कारक -इसमें तापमान, प्रकाश, हवा, आर्द्रता आदि आते हैं .
  • मृदा संबंधी कारक -यह मृदा की संरचना और संगठन से संबंधित है.
  • अकार्बनिक पदार्थ -जल, फास्फोरस, सल्फर, नाइट्रोजन आदि पदार्थ.
  • कार्बनिक पदार्थ -प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा आदि.

जैविक घटक -इसके अंतर्गत सजीव जीवो को शामिल किया जाता है जिसमें पौधे जंतु एवं सूक्ष्मजीव आते  हैं। जैविक घटक को निम्न वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है

  1. स्वपोषी -ऐसे पौधे और जंतु जो भोजन का निर्माण स्वयं करते हैं स्वपोषी कहलाते हैं ,इसलिए  इन्हें उत्पादक कहा जाता है और इन्हें प्रथम पोषण स्तर के अंतर्गत रखा जाता है। इसके अंतर्गत हरे पौधे और शैवाल व् कुछ बैक्ट्रिया आते है।
  2. परपोषी -ऐसे जीव जो भोजन के लिए पौधों व् जंतुओं या दोनों पर निर्भर करते है , परपोषी कहलाते है । 

भोजन के स्रोत के आधार पर इसे 3 वर्गों में बाँट सकते है -

  • शाकाहारी - ऐसे जीव जो अपना भोजन पौधों से प्राप्त करते है। इन्हें प्राथमिक उपभोक्ता कहा जाता है।जैसे - गाय , हिरण , बकरी । पोषण स्तर में द्वितीयक स्तर में होते है।
  • मांसाहारी -ऐसे जीव जंतु जो अपना भोजन जंतुओं से प्राप्त करते है।इन्हें पुनः दो वर्गों में बांट सकते हैं- पहले वर्ग में ऐसे जीव  जो केवल शाकाहारी जंतुओं को खाते हैं। यह द्वितीयक  उपभोक्ता कहलाते हैं और पोषण स्तर में इनका स्तर तीसरा होता है।दूसरे वर्ग में ऐसे जियो जो शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के जीवो को खाते हैं। यह तृतीयक उपभोक्ता कहलाते हैं और पोषण स्तर में इनका क्रम चौथा होता है।
  • सर्वाहारी -ऐसे जीव जो अपना भोजन पौधों और जंतुओं दोनों से प्राप्त करते हैं उन्हें सर्वाहारी कहा जाता है जैसे मनुष्य।
  • मृतपोषी या अपघटक-यह भी एक प्रकार के परसों परपोषी होते हैं जो मृत पदार्थों में मौजूद जटिल कार्बनिक पदार्थ को सरल और कार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं जैसे बैक्टीरिया और कवक




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