भारतीय अर्थव्यवस्था : अर्थव्यवस्था परिचय

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प्रिय मित्रों ,
नमस्कार ।
यह लेख मुख्य रूप से सिविल सेवा परीक्षा के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ। उम्मीद करता हु मेरे ये लेख आपकी अर्थव्यवस्था की समझ को बढ़ायेगा ।

अर्थव्यवस्था क्या है :- 

अर्थव्यवस्था दो शब्दों से मिलकर बना है - अर्थ+व्यवस्था जिसमें अर्थ का मतलब होता है 'धन' । किसी 
देश के लोगों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए अर्थ को ध्यान में रखकर बनाई गई व्यवस्था अर्थव्यवस्था कहलाता है । प्रत्येक देश का अपना एक अर्थव्यवस्था हो सकता है ।जैसे - भारतीय अर्थव्यवस्था , चीनी अर्थव्यवस्था,रुसी अर्थव्यवस्था ।

अर्थशास्त्र बनाम अर्थव्यवस्था :-

अर्थशास्त्र में बाजार से जुडी आर्थिक गतिविधि उत्पादन,वितरण एवं उपभोग संबंधी नियमों , सिद्धान्तों को समझते है । अर्थशास्त्र का अध्यनन दो तरीके से किया जा सकते है - 1. सैद्धान्तिक 2. व्यवहारिक । अर्थव्यवस्था , अर्थशास्त्र की ही एक शाखा है जिसमे व्यवहारिक अर्थशास्त्र का अध्यनन किया जाता है ।
उत्पादन , वितरण और उपभोग आर्थिक गतिविधियों के महत्वपूर्ण घटक है । किस प्रकार के वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होना चाहिए?? कौनसी वस्तुओं का उत्पादन हो और इसका वितरण कैसे हो । वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन किस प्रकार से हो , मानवीय श्रम या मशीन से । 

उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए दुनिया की अर्थव्यवस्था को मुख्यतः तीन भागों में बांट सकते है - 1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था 2. समाजवादी अर्थव्यवस्था 3. मिश्रित अर्थव्यवस्था ।

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था :-

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में बाजार पर नियंत्रण निजी या पूंजीपतियों के हाथ में होता है । इस प्रकार के अर्थव्यवस्था में सरकार का किसी प्रकार से हस्तक्षेप नहीं होता । किन वस्तुओं का उत्पादन हो , कहा हों, कैसे हो और कहाँ वितरित किया जाए इसका निर्धारण व्यवसायियों के हाथ में होता है । इसे मुक्त बाजार व्यवस्था भी कहा जाता है ।

पूंजीवादी अर्थव्यस्था के गुण :- 

1. बाजार पर नियंत्रण निजी या पूंजीपतियों का होता है ।
2. सरकारी हस्तक्षेप नहीं होता जिससे बाजार को बल मिलता है ।
3. मांग और पूर्ति पर आधारित होता है ।
4. बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है जिससे वस्तुओं एवं सेवाओं के गुणवत्ता में वृद्धि होती है ।
5. उपभोक्ता को वस्तुओं और सेवाओं के विकल्प अधिक मिलते है ।
6. देश की अर्थव्यवस्था तेजी के साथ बढ़ती है जैसे अमेरिका , ब्रिटैन ।

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के दोष :- 

1. इस अर्थव्यवस्था का प्रमुख उद्देश्य लाभ कमाना होता है जिसके कारण प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों का असीमित दोहन किया जाता है।
2. क्षेत्रीय असमानता बढ़ता है क्यूंकि वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन उस क्षेत्र में किया जाता है , जहाँ सभी प्रकार के संसाधन उपलब्ध हो और उपभोक्ता की क्रय करने की शक्ति हो । इस कारण अन्य क्षेत्र का विकास नहीं हो पाता ।
3. आर्थिक असमानता में वृद्धि होता है ।
4. बाजार पर एकाधिकार पूंजीपतियों का होता है ।
समाजवादी और मिश्रित अर्थव्यवस्था की चर्चा अगले भाग में करेगें । 

प्रमुख आर्थिक शब्दवाली :- 
  • बाजार - जहाँ पर आर्थिक गतिविधि होती है अर्थात वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन, खरीद बिक्री होती है ।
  • उत्पादन - खरीद बिक्री करने के लिए वस्तुओं और सेवाओं का निर्माण
  • वितरण - वस्तुओं और सेवाओं को लोगों तक पहुचाना ।
  • उपभोक्ता - जो वस्तुओं और सेवाओं का उपभोग अर्थ खरीदता है ।

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