Cgpsc mains notes indian Economy
1990 तक भारतीय अर्थव्यवस्था की धीमी विकास दर, भुगतान शेष जैसे आर्थिक संकट से निपटने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर सुधार किया किया गया ।
वे उपाय जो तात्कालिक आर्थिक संकट जैसे भुगतान शेष , महँगाई से निपटने के लिए बनाई गई थी , उसे स्थिरीकरण उपाय कहा जाता है ।
जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक संवृद्धि एवं कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए किये गए दीर्घकालिक ढाँचागत सुधार को ,संरचनात्मक सुधार कहा जाता है ।
संरचनात्मक सुधार के तहत अर्थव्यवस्था से जुड़े कई नीतियों को शिथिल व् बदलाव किया गया वे निम्न है -
- औद्योगिक क्षेत्रक सुधार :- इसके तहत नई औद्योगिक नीति जारी की गई , जिसके प्रमुख प्रावधान थे 1. कुछ क्षेत्र (रसायन एवं विस्फोट,एल्कोहल,औषधि,सिगरेट, इलेक्ट्रॉनिक,विमानन ) को छोड़कर शेष के लिए लाइसेंसिंग को समाप्त किया गया ।2. कुछ क्षेत्र (रेलवे,रक्षा संबंधी,अन्तरिक्ष) आरक्षित कर अन्य सभी क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया।3. वस्तुओं के उत्पादन एवं मूल्य निर्धारण कोई सरकारी हस्तक्षेप नहीं।
- वित्तीय क्षेत्रक सुधार :- 1.पूंजी बाजार से संबंधित संस्थाओं को आरबीआई के नियंत्रण को सिमित कर दिया गया । 2. म्यूच्यूअल फण्ड ,विदेशी निवेश भी पूंजी बाजार में निवेश कर सकते थे 3.बैंकिंग क्षेत्र में अब निजी बैंक भी खोले जा सकते थे।
- कर व्यवस्था सुधार:- 1. करों में जैसे (आय कर,निगम कर) में कटौती की गई । 2. अप्रत्यक्ष कर जैसे वस्तुओं और सेवाओं पर लगाये कर को एकिकृत करने का प्रयास किया गया ।
- विदेशी विनिमय सुधार:- विदेशी क्षेत्र आधार में सबसे कार्य यह था कि रुपये का अवमूल्यन किया गया , ताकि विदेशी मुद्रा आ सके । रुपये के मूल्य निर्धारण का नियंत्रण भी सरकार से मुक्त कर दिया गया । अब बाजार के आधार पर ही विदेशी मुद्रा का माँग और पूर्ति हो रहा था ।
- व्यापार एवं निवेश नीति सुधार :- सरकार ने व्यापार एवं निवेश संबंधी पर काफी प्रतिबन्ध लगा के रखा था ।ज्यादा मात्रा में आयात न हो पाए इसके लिए सरकार ने आयात शुल्क ऊँची रखी ताकि स्थानीय उद्योगों को संरक्षण मिले किन्तु अब स्थानीय उद्योगों की उत्पादन एवं कार्यकुशलता को बढ़ाना था इसलिए सरकार ने निम्न परिवर्तन किये 1. किसी भी वस्तु के आयात की मात्रा पर प्रतिबन्ध हटाया । 2. आयात एवं इससे जुड़े अन्य शुल्क में कटौती की गई 3. हानिकारक एवं पर्यावरण संवेदी उत्पादों को छोड़कर आयात लाइसेंसिंग समाप्त किया । 4. भारतीय उद्योगों के लिए निर्यात शुल्क मुक्त कर दिया ।