बस्तर या दंडकारण्य का पठार
छत्तीसगढ़ का सबसे दक्षिणी भाग बस्तर या दंडकारण्य का पठार कहलाता है। यह छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का लगभग 28% है ,इसके अंतर्गत कोंडागांव ,बस्तर ,सुकमा बीजापुर, नारायणपुर ,कांकेर और राजनांदगांव का मोहेला तहसील भी शामिल है।
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बस्तर का पठार |
बस्तर या दंडकारण्य पठार की विशेषता:-
👉भूगर्भिक बनावट:- दंडकारण्य पठार का निर्माण आर्कियन, ग्रेनाइट और नीस जैसे चट्टानों से मिलकर बना है ,जिसमें बहुमूल्य खनिज लोहा तांबा जैसे खनिज पाए जाते हैं।
👉ढाल:- इसकी ढाल पहले पश्चिम की ओर है फिर दक्षिण।
👉अपवाह तंत्र:- दंडकारण्य पठार से निकलने वाली या इस क्षेत्र से बहने वाली नदी गोदावरी में मिल जाती है अतः यह क्षेत्र गोदावरी नदी अपवाह तंत्र के अंतर्गत आता है जिसमें इंद्रावती ,शबरी ,कोटरी प्रमुख नदियां है।
👉प्रमुख मिट्टी:- दंडकारण्य पठार मैं मुख्य रूप से लाल बलुई मिट्टी पाई जाती है ,जिसमें मोटे अनाज -बाजरा ,कोदो कुटकी बहुतायत रूप से उगाई जाती हैं।
👉प्रमुख पर्वत 1. अबूझमाड़ की पहाड़ी 2.बैलाडीला की पहाड़ी।सबसे ऊंची चोटी नंदी राज 1210 बैलाडीला में स्थित है।
इस टॉपिक को समझने के लिए यह वीडियो देख लें :-