राष्ट्रीय उद्यान :- वह क्षेत्र जहां वन जीव जंतुओं को औपचारिक रूप से संरक्षित किया जाता है इस चित्र में आम आदमी को बिना अनुमति के प्रवेश वर्जित होता है
छत्तीसगढ़ में प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान निम्न है:-
छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय उद्यान ( National park of Chhattisgarh)
1. इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान (Indrawati National Park) - यह छत्तीसगढ़ का सबसे प्राचीनतम राष्ट्रीय उद्यान है। जिसकी स्थापना 1978 में की गई थी। वर्तमान में यह बीजापुर जिले के अंतर्गत आता है। इसके अंतर्गत 1258 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र आरक्षित किया गया है। इसमें 1983 में प्रोजेक्ट टाइगर प्रारम्भ किया गया था। 2009 में इसे टाइगर रिज़र्व बना दिया गया है। इंद्रावती नदी इस राष्ट्रीय उद्यान से गुजरती है इसलिए इसका नाम इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान पड़ा है।
2. गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान (Guru Ghasidas National Park) - छत्तीसगढ़ क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला यह दूसरा राष्ट्रीय उद्यान है। यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। इसकी स्थापना 1981 में अविभाजित मध्यप्रदेश में हुई थी। तब इसका नाम संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान था। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद इसका नाम बदलकर गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान का दिया गया। इसके अंतर्गत 1441 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आरक्षित किया गया है, जो कोरिया और सूरजपुर जिले के अंतर्गत आता है। इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघ और तेंदुआ जैसे मांसाहारी जंगली जानवर पाए जाते है।
शाकाहारी जानवरो में नीलगाय और सांभर प्रमुख है।
3. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान ( Kanger Valley National Park) - छत्तीसगढ़ का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है। इसके अंतर्गत 200 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र आरक्षित किया गया है। इसकी स्थापना 1982 में की गई थी। इस राष्ट्रीय उद्यान में उड़न गिलहरी और रिशस बंदर विशेष आकर्षण है। यह राष्ट्रीय उद्यान बस्तर जिले में स्थित है। इस राष्ट्रीय उद्यान में भैसादरहा नामक स्थान है जहाँ पर मगरमच्छ पाए जाते है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में कुटुमसर गुफा भी स्थित है जिसमे स्टेलेगटाइट और स्टेलेगमाईट जैसी संरचनाये पाई जाती है। स्टेलेगटाइट गुफा की ऊपरी दीवाल पर लटकती हुई संरचनाये है जो टपकते हुए पानी मे मिनरल के जमाव के कारण बनी है। स्टेलेगमाईट गुफा की निचली सतह पर बनी संरचनाये है। कुटुमसर गुफा में एक विशेष प्रजाति की मछली भी पाई जाती है जो अंधी होती है। कांगेर घाटी को 1982 में बायोस्फियर रिज़र्व भी घोषित किया गया था, जो एशिया में प्रथम बायोस्फियर रिज़र्व था। परंतु वर्तमान में यह बायोस्फियर रिज़र्व नही है।