छत्तीसगढ़ के अभ्यारण्य ( Wild life Sanctuaries in Chhattisgarh)
1. सीतानदी अभ्यारण्य - छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित यह छत्तीसगढ़ का पहला अभ्यारण्य है जिसकी स्थापना 1974 में की गई थी। अर्थात यह छत्तीसगढ़ का सबसे प्राचीनतम अभ्यारण्य है। यह 559 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में फैला हुआ है। छत्तीसगढ़ का दूसरा बड़ा अभ्यारण्य है। सर्वाधिक तेंदुआ इसी अभ्यारण्य में पाए जाते है। 2006 में सीतानदी और उदयन्ती अभ्यारण्य में एक साथ प्रोजेक्ट टाइगर प्रारम्भ किया गया था। जिसके आधार पर 3 वर्ष बाद 2009 में टाइगर रिज़र्व बना दिया गया है।
2. अचानकमार अभ्यारण्य - यह छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1975 में कई गई थी। सर्वाधिक बाघ अचानकमार अभ्यारण्य में ही पाए जाते है। यह 552 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में फैला हुआ है। क्षेत्रफल के आधार पर छत्तीसगढ़ का तीसरा बड़ा अभ्यारण्य है। 2006 में इसमे प्रोजेक्ट टाइगर प्रारम्भ किया गया। इसके आधार पर 3 वर्ष बाद 2009 में टाइगर रिज़र्व बना दिया गया है। इस अभ्यारण्य के मध्य से मनियारी नदी बहती है।
3. गोमर्दा अभ्यारण्य - यह छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1975 में कई गई थी। यह 278 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में फैला हुआ है। सोन कुत्ता इस अभ्यारण्य में पाया गया है।
4. बादलखोल अभ्यारण्य - यह छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1975 में कई गई थी। यह 105 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में फैला हुआ है। यह छत्तीसगढ़ का सबसे छोटा अभ्यारण्य है।
5. बारनवापारा अभ्यारण्य - यह छत्तीसगढ़ के महासमुंद और बलौदाबाजार जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1976 में कई गई थी। यह 245 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में फैला हुआ है। इस अभ्यारण्य से होकर बलमदेई नदी बहती है जो सात देवधारा नामक जलप्रपात का निर्माण करती है। यहाँ वनभैसे लाये जा रहे है। इसी अभ्यारण्य में तुरतुरिया आश्रम स्थित है जो महर्षि बाल्मीकि से संबंधित है। यह भगवान राम के पुत्रों लव - कुश का जन्म स्थल माना जाता है। तुरतुरिया आश्रम बलौदाबाजार जिले में स्थित है।
6. तमोरपिंगला अभ्यारण्य - यह छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1978 में कई गई थी। यह 608 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में फैला हुआ है। यह छत्तीसगढ़ का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा अभ्यारण्य है। इसमे सर्वाधिक नीलगाय पाई जाती है।
7. सेमरसोत अभ्यारण्य - यह छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1978 में कई गई थी। यह 430 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में फैला हुआ है। वन्य जीवों में नीलगाय पाई जाती है।
8. उदन्ती अभ्यारण्य - यह छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1983 में कई गई थी। यह 230 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में फैला हुआ है। 2006 में सीतानदी और उदयन्ती अभ्यारण्य में एक साथ प्रोजेक्ट टाइगर प्रारम्भ किया गया था। जिसके आधार पर 3 वर्ष बाद 2009 में टाइगर रिज़र्व बना दिया गया है। सर्वाधिक वनभैंसे पाए जाते है। इसके अलावा मोर, मूषक हिरण और काला तेंदुआ भी पाया जाता है। उदन्ती नदी इस अभ्यारण्य से होकर गुजरती है। दीपआशा नाम के मादा वनभैंसे का जन्म यही हुआ है।
9. भैरमगढ़ अभ्यारण्य - यह छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1983 में कई गई थी। यह 139 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में फैला हुआ है।
10. पामेड़ अभ्यारण्य - यह छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1983 में कई गई थी। यह 265 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में फैला हुआ है।
11. भोरमदेव अभ्यारण्य - (नवीनतम) यह छत्तीसगढ़ के कबीरधाम (कवर्धा) जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 2001 में कई गई थी। यह 163 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में फैला हुआ है। यह छत्तीसगढ़ का सबसे नया अभ्यारण्य है। भोरमदेव मंदिर इसी क्षेत्र में स्थित है जिसे छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है।