Algae in global warming
(ग्लोबल वार्मिंग के नियंत्रण में शैवालों की भूमिका) algae can control global warming - ग्लोबल वार्मिंग अर्थात वैश्विक तापन को नियंत्रित करने में शैवालों की अहम भूमिका है। शैवाल (algae) पूरे विश्व मे हर जगह पाए जाते है। पूरी धरती की सतह में ज्यादातर भाग में जल है । शैवाल जल में उगती हुई पायी जाती है जो प्रकाश संश्लेषण द्वारा काफी मात्रा में CO2 अवशोषित करके शुगर के निर्माण में उपयोग कर लेते है। इस प्रकार शैवाल CO2 की मात्रा को कम करने में मदद करते है। ग्लोबल वार्मिंग के लिए सबसे ज्यादा CO2 गैस ही जिम्मेदार होती है अतः CO2 गैस की मात्रा में कमी होने पर ग्लोबल वार्मिंग कम होता है।
भविष्य में शैवालों का ग्लोबल वार्मिंग के नियंत्रण में महत्व और ज्यादा बढ़ने वाला है क्योंकि भविष्य में शैवालों से जैव ईंधनों (Biofuel) का उत्पादन भी काफी मात्रा में होने लगेगा। शैवालों से बायो हाइड्रोजन गैस एवं बायो एथेनॉल जैसे इको फ्रेंडली जैव ईंधनों का उत्पादन किया जा सकता है। इस पर काफी सारे शोधकार्य चल रहे है। ये दोनों ईंधन पर्यावरण के लिए कम नुकसानदायक है क्योकि इनके जलने पर कम मात्रा में CO2 गैस निकलती है।
1. हाइड्रोजन गैस (H2) के जलने पर तो CO2 गैस निकलती ही नही है क्योंकि इसमें कार्बन होता ही नही है। शैवालों की एक स्पीशीज Chlamydomonas reinhardtii को सल्फर की कमी वाले कल्चर मीडियम में उगाने पर ये हाइड्रोजन गैस का उत्पादन करती है। हाइड्रोजन गैस के उत्पादन में hydrogenase नामक एंजाइम की भूमिका होती है जो anaerobic वातावरण अर्थात ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में कार्य करता है और हाइड्रोजन गैस का उत्पादन करता है।
2. बायो एथेनॉल (Bio ethenol) - शैवालों में कार्बोहायड्रेट विभिन्न रूपो जैसे स्टार्च , सुक्रोस और सेल्यूलोस के रूप में एकत्रित होती है। इस शर्करा को हाइड्रोलिसिस द्वारा monosaccharide ग्लूकोस के रूप में तोड़ लिया जाता है। उसके बाद सूक्ष्म जीवों के द्वारा इसमें किण्वन (fermentation) करवाने पर एथेनॉल का उत्पादन होने लगता है।
एथेनॉल को वाहनों में आसानी से उपयोग किया जा सकता है। 100 प्रतिशत शुद्ध रूप में या पेट्रोल के साथ मिलाकर दोनों प्रकार से ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है। वर्तमान में पेट्रोल के साथ मिलाकर ही कुछ मात्रा में उपयोग किया जा रहा है।
3. बायोडीजल (biodiesel)- शैवालों से प्राप्त होने वाले (oil) ऑयल को ट्रांसएस्टरीफिकेशन (transesterification) द्वारा बायोडीजल में बदला जा सकता है।
बायोडीजल के जलने पर सामान्य डीजल पेट्रोल की तरह ही CO2 निकलता है परंतु जब हम शैवालों को उगाते है तब शैवाल प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) में काफी मात्रा में CO2 को अवशोषित कर लेते है। अर्थात शैवालों से बायोडीजल के उत्पादन करने पर अप्रत्यक्ष रूप से ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद मिलती है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि शैवाल दो प्रकार से ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद करते है। पहला प्रकाश संश्लेषण द्वारा CO2 को अवशोषित करके , दूसरा इको फ्रेंडली जैव ईंधनों के उत्पादन द्वारा कम CO2 उत्सर्जन करके ग्लोबल वार्मिंग कम करने में सहायता करते है ।