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राष्ट्रीय आय एवं प्रतिव्यक्ति आय
1.1 राष्ट्रीय आय का अर्थ 1.2 राष्ट्रीय आय की अवधारणा 1.3 राष्ट्रीय आय की गणना करने की विधियां 1.4 राष्ट्रीय आय के गणना में कठिनाई 1.5 राष्ट्रीय आय में किसकी गणना नहीं की जाती 1.6 भारत की राष्ट्रीय आय की विशेषताएं 1.5 कम राष्ट्रीय आय के कारण 1.6 राष्ट्रीय आय बढ़ाने के उपाय |
राष्ट्रीय आय का अर्थ :-
किसी देश के अंदर एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित कुल वस्तुओं एवं सेवाओं का मौद्रिक मूल्य ही , राष्ट्रीय आय कहलाता है ।राष्ट्रीय आय की गणना केंद्रीय संखियीय संगठन के द्वारा की जाती है ।इससे किसी देश की विकास का स्तर का पता चलता है ।राष्ट्रीय आय की अवधारणा :-
- सकल घरेलू उत्पाद(GDP) - किसी देश की एक वित्तीय वर्ष के अंदर उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओ के मौद्रिक मूल्य उस देश की जीडीपी कहलाती है । जीडीपी में विदेशियों के द्वारा उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य भी शामिल किया जाता है ।
जीडीपी = उपभोग+निवेश+सरकारी व्यय
- सकल राष्ट्रीय उत्पाद(GNP) :- जब जीडीपी में निर्यात की गई वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य जोड़ दिया जाता है और आयात की गई वस्तुओं एवं सेवाओं का मौद्रिक मूल्य घटा दिया जाता है तो उसे जीएनपी कहा जाता है ।
जीएनपी = जीडीपी +निर्यात - आयात
- शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP):- जब सकल राष्ट्रीय उत्पाद में उत्पादन की प्रक्रिया में प्रयुक्त मशीन और पूंजी के मूल्य ह्रास को घटा दिया जाता है तो उसे एनएनपी कहा जाता है ।
एनएनपी = जीएनपी- मूल्य ह्रास
- राष्ट्रीय आय :- जब साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में अप्रत्यक्ष आय जोड़ कर लोगों को दी जाने वाली सब्सिडी घटा दी जाती है , तो उसे राष्ट्रीय आय कहा जाता है ।
राष्ट्रीय आय = एनएनपी +अप्रत्यक्ष - सब्सिडी
- प्रतिव्यक्ति आय :- यदि राष्ट्रीय आय को उस देश की कुल जनसँख्या से भाग देने पर प्रति व्यक्ति आय प्राप्त होता है ।
- हरित जीडीपी : - ऐसी जीडीपी जब वस्तुओं व् सेवाओं के उत्पादन का मौद्रिक मूल्य में पर्यावरण में हुई क्षति का भी मौद्रिक मूल्य घटाने पर प्राप्त जीडीपी हरित जीडीपी कहलाता है ।
राष्ट्रीय आय गणना करने की विधियां :-
1.उत्पाद विधि :- इस विधि में अपने घरेलु सीमा के अंदर एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित अंतिम सभी वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य निकाला जाता है । मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं को इसमें शामिल नहीं किया जाता ।
- उत्पाद को मुख्यतः तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है - 1. उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं का योगदान 2. पूंजीगत वस्तुओं एवं सेवाओं का योगदान 3. सरकार के द्वारा किया गया उत्पादन ।
- उत्पाद विधि से कृषि , पशुपालन , मत्स्यपालन , खनन और निर्माण क्षेत्र में किये गए उत्पाद का मौद्रिक मूल्य निकाला जाता है ।
2. आय विधि - इस विधि में राष्ट्रीय आय की माप एक लेख वर्ष में उत्पादन करने के लिए प्रयुक्त साधनों (भूमि,श्रम,पूंजी तथा उधम) के बदले प्राप्त आय लगान, मजदूरी,व्याज तथा लाभ के रूप में किये गए भुगतान की गणना की जाती है ।
आय विधि से विभिन्न प्रकार के सेवाओं में लगे श्रमिको की की आय तथा सेवा सेक्टर से जुड़े उद्यमी की आय को जोड़कर निकाला जाता है ।3. व्यय विधि - इसे वस्तु प्रवाह विधि भी कहा जाता है जिसमें निर्माण क्षेत्र में लगे वस्तु के प्रवाह को मापा जाता है । निर्माण कार्य में लगे वस्तु जैसे बालू,सीमेंट,छड़ कुल व्यय की गई राशि को राष्ट्रीय आय में जोड़ा जाता है। यह गणना ग्रामीण और शहरी क्षेत्र दोनों के लिए अलग अलग किया जाता है ।
राष्ट्रीय आय गणना में कठिनाई-
1. अमौद्रिक क्षेत्र - वह अमौद्रिक वस्तु जिसे किसान अपने उपभोग के लिए रख लेता है , बाजार में आ नहीं पाता । इस बस्तु की गणना राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं होता है
।
2. आर्थिक क्रियाओं में स्पष्ठ अंतर का अभाव - एक व्यक्ति वर्ष भर में अलग अलग काम धंधों में लगा रहता है । जैसे गांव के लोग कुछ दिन खेती करते है और कुछ दिन मजदूरी । इनकी आय का अनुमान लगाने में कठिनाई होती है ।
3. राष्ट्रीय आय की अवधारणा संबंधी - भारत में राष्ट्रीय आय की गणना आधार वर्ष के स्थिर मूल्यों पर की जाती है , लेकिन कुछ ऐसी वस्तुएं जैसे कंप्यूटर , मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक वस्तु का उत्पादन आधार वर्ष पर नहीं होती और इसका चालू मूल्य राष्ट्रीय आय में जोड़ दिया जाता है ।
4. काला धन :- वह धन जो सरकार से छुपा के रखा गया होता है , इसकी गणना राष्ट्रीय आय में नही हो पाता ।
5. अंतर क्षेत्र विभिन्नताएं - भारत के प्रत्येक क्षेत्र की अलग अलग विशेषताएं है इसलिए एक क्षेत्र के आंकड़े को आधार मानकर पुरे देश का अनुमान नहीं लगाया जा सकता ।
6. कुछ आय के आंकड़े उपलब्ध ना होना - घरेलु व् काम मात्रा में उत्पादन करने वाले खाता नहीं बनाते जैसे कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग । जिसका अनुमानित आय राष्ट्रीय आय में जोड़ दिया जाता है ।
2. आर्थिक क्रियाओं में स्पष्ठ अंतर का अभाव - एक व्यक्ति वर्ष भर में अलग अलग काम धंधों में लगा रहता है । जैसे गांव के लोग कुछ दिन खेती करते है और कुछ दिन मजदूरी । इनकी आय का अनुमान लगाने में कठिनाई होती है ।
3. राष्ट्रीय आय की अवधारणा संबंधी - भारत में राष्ट्रीय आय की गणना आधार वर्ष के स्थिर मूल्यों पर की जाती है , लेकिन कुछ ऐसी वस्तुएं जैसे कंप्यूटर , मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक वस्तु का उत्पादन आधार वर्ष पर नहीं होती और इसका चालू मूल्य राष्ट्रीय आय में जोड़ दिया जाता है ।
4. काला धन :- वह धन जो सरकार से छुपा के रखा गया होता है , इसकी गणना राष्ट्रीय आय में नही हो पाता ।
5. अंतर क्षेत्र विभिन्नताएं - भारत के प्रत्येक क्षेत्र की अलग अलग विशेषताएं है इसलिए एक क्षेत्र के आंकड़े को आधार मानकर पुरे देश का अनुमान नहीं लगाया जा सकता ।
6. कुछ आय के आंकड़े उपलब्ध ना होना - घरेलु व् काम मात्रा में उत्पादन करने वाले खाता नहीं बनाते जैसे कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग । जिसका अनुमानित आय राष्ट्रीय आय में जोड़ दिया जाता है ।
7. निरक्षरता के कारण भी राष्ट्रीय आय माप सही नही आ पता क्योंकि वे सही आंकड़े बता नही पाते ।
2. गृहिणियों के द्वारा किया गया घरेलु कार्य ।
3.काला धन से अर्जित आय
2. प्रति व्यक्ति आय की कम वृद्धि दर
3. आय का आसमान वितरण
4. राष्ट्रीय आय का कम विकास दर
5. क्षेत्रीय असमानता
6. निजी क्षेत्र के आय में वृद्धि
7. सेवा क्षेत्र के योगदान में वृद्धि
राट्रीय आय में किसकी गणना नहीं की जाती -
1. गैर कानूनी आर्थिक क्रियाओं से प्राप्त आय जैसे तस्करी , जुआ ।2. गृहिणियों के द्वारा किया गया घरेलु कार्य ।
3.काला धन से अर्जित आय
भारत की राष्ट्रीय आय की विशेषता :-
1.कृषि पर अत्यधिक निर्भरता2. प्रति व्यक्ति आय की कम वृद्धि दर
3. आय का आसमान वितरण
4. राष्ट्रीय आय का कम विकास दर
5. क्षेत्रीय असमानता
6. निजी क्षेत्र के आय में वृद्धि
7. सेवा क्षेत्र के योगदान में वृद्धि
राष्ट्रीय आय का महत्व :-
- राष्ट्रीय आय की माप से देश की विकास के स्तर का पता चलता है ।
- राष्ट्रीय आय से प्रति व्यक्ति आय निकाला जाता है जिसकी मदद से लोगों के जीवन स्तर और आर्थिक विकास का पता चलता है ।
- राष्ट्रीय आय की आंकड़ों का प्रयोग नीतियों के निर्माण में किया जाता है ।
- राष्ट्रीय आय की मदद से आर्थिक क्रियाओं से जुड़े सभी क्षेत्रों का विश्लेषण किया का सकता है ।
- दो देशों को राष्ट्रीय आय की तुलना किया जा सकता है ।
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