मराठा साम्राज्य की प्रशासनिक एवं आर्थिक व्यवस्था
शिवाजी की प्रशासनिक व्यवस्था -
शिवाजी के विजित क्षेत्र को स्वराज के नाम से जाना जाता था .यह 4 प्रमुख प्रान्तों में बंटा था -- उत्तरी प्रान्त - सूरत से पूना तक का क्षेत्र .
- दक्षिणी पश्चिमी प्रान्त - बम्बई से कोंकण तक का क्षेत्र .
- दक्षिणी पूर्वी प्रान्त - सतारा , कोल्हापुर ,बेलगाँव एवं थरवार का क्षेत्र .
- दक्षिणी प्रान्त - जिंजी एवं उसके आस पास का क्षेत्र .
शिवाजी की मंत्रिमंडल
मराठा साम्राज्य का पूरा सञ्चालन एक मत्रियों का समूह के माध्यम से किया जाता था , जिसे 'अष्ट प्रधान' नाम से जाना जाता था -
पेशवा | प्रधानमंत्री - राज्य का प्रशासन एवं अर्थव्यवस्था का देख रेख |
सर ए नौबत | सेनापति - सैन्य सम्बन्धी कार्य |
अमात्य या मजुमदार | राजस्व मंत्री - आय व्यय का लेखा जोखा तयार करता था |
वकयानिस | गुप्तचर एवं संचार विभाग प्रमुख |
चिटनिस | चिट्ठी /डाक विभाग प्रमुख |
सुमंत या दबीर | विदेश मंत्री |
पंडित राव या दनाद्यक्ष | धार्मिक मंत्री |
न्यायधीश | न्याय विभाग के प्रमुख |
शिवाजी की कर व्यवस्था
भूमिकर ,चौथ एवं सरदेशमुखी राजस्व के प्रमुख स्रोत थे .इसके अतिरिक्त व्यापर पर कर , उद्योग पर कर , युद्ध में प्राप्त धन , भेंट से भी राजस्व के स्रोत थे .
- भूमिकर - शिवाजी की कर व्यवस्था मालिक अम्बर की कर व्यवस्था पर आधारित थी .भूमि मापने के लिए काठी ईवा मानक छड़ी का प्रयोग किया जाता था .
- चौथ - अपने पडोसी राज्यों से आक्रमण ना करने या आक्रमण से बचाने के लिया जाने वाला कर जो कुल राजस्व का एक चौथाई लिया जाता था .
- सरदेशमुखी - अपने विजित क्षेत्र या अधीन क्षेत्र से लिया जाने वाले कर कुल राजस्व का 10 % लिया जाता था .
शिवाजी की सैन्य व्यवस्था
- पागा सेना - यह शिवाजी की नियमित एवं स्थायी वैतनिक घुड़सवार सेना थी .
- सिहलदार सेना - यह शिवाजी की अस्थायी अवैतनिक घुड़सवार सेना थी .जिसे जरुरत पड़ने पर बुलाया जाता था .
- पैदल सेना - यह पैदल सेना थी .
इसके अलावा सेना में गुप्तचर ,तोपखाना एवं समुद्री बड़ों की भी व्यवस्था थी .
मराठा सम्राज्य के प्रमुख पेशवा
प्रथम पेशवा -बालाजी विश्वनाथ (1720 ई में मृत्यु )
- इन्होने तात्कालिक मुग़ल सम्राट फरूखसियर से समझौता किया .इस समझौते को मराठों का 'मेघना काटा' कहा जाता है .
- इसे लड़ाकू पेशवा के नाम से जाना जाता है .
- शिवाजी के बाद गोरिल्ला युद्ध के प्रतिपादक
- मस्तानी नामक महिला से संबंध होने के कारण चर्चित रहा .
तृतीय पेशवा - बालाजी बाजीराव (1740 - 1761 ई)
- इन्हें नाना साहब के नाम से जाना जाता है .
- इसके शासनकाल में पानीपत का तृतीय युद्ध हुआ था .
पानीपत का तृतीय युद्ध - 1761 ई
मराठा विरुद्ध अहमदशाह अब्दाली
मराठा सेनापति - विश्वास राव व् सदाशिव राव
परिणाम - मराठों का पराजय
चतुर्थ पेशवा - माधवराव प्रथम(1761-1772 ई )
- इसने तात्कालिक मुग़ल शासक शाह आलम को पुनः दिल्ली पर बिठाया .
- क्षय रोग से इसकी मृत्यु .
पंचम पेशवा - नारायण राव प्रथम (1772-73 ई )
- माधव राव प्रथम का भाई था .
- चाचा रघुनाथ राव के द्वारा हत्या .
छठा पेशवा - रघुनाथ राव (1773-74 ई )
सातवाँ पेशवा - माधव राव नारायण राव द्वितीय(1774-95 ई )
- नारायण राव का अल्पव्यस्क पुत्र था .
- अल्पव्यस्क होने के कारण शासन का दायित्व बारभाई नाम के 12 सदस्यों की एक परिषद् करती थी .
- इसके शासनकाल में प्रथम आंगल मराठा युद्ध हुआ था .
अंतिम पेशवा - बाजीराव द्वितीय (1795-1818 ई )
- रघुनाथ राव का पुत्र था .
- इसके शासन काल में द्वितीय एवं तृतीय आंगल मराठा युद्ध हुआ था .
आंगल मराठा युद्ध
प्रथम आंगल मराठा युद्ध |
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द्वितीय आंगल मराठा युद्ध |
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तृतीय आंगल मराठा युद्ध |
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आंगल मराठा युद्ध के दौरान हुई प्रमुख संधियाँ -
सुरत की संधि - 1775ई
पुरंदर की संधि - 1776 ई
बडगांव की संध - 1779 ई
सालबई की संधि - 1782 ई
बसीन की संधि - 1802 ई
देवगांव की संधि - 1803 ई
सुर्जी अर्जुन गाँव की संधि - 1803 ई
राजपुर घाट की संधि - 1804 ई
नागपुर की संधि - 1816 ई
ग्वालियर की संधि - 1817 ई
पूना की संधि - 1817 ई
मंदसौर की संधि - 1818 ई