मराठा साम्राज्य - 2

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 मराठा साम्राज्य की प्रशासनिक एवं आर्थिक व्यवस्था 

शिवाजी की प्रशासनिक व्यवस्था -

शिवाजी के विजित क्षेत्र को स्वराज के नाम से जाना जाता था .यह 4 प्रमुख प्रान्तों में बंटा था -
  1. उत्तरी प्रान्त - सूरत से पूना तक का क्षेत्र .
  2. दक्षिणी पश्चिमी प्रान्त - बम्बई से कोंकण तक का क्षेत्र .
  3. दक्षिणी पूर्वी प्रान्त - सतारा , कोल्हापुर ,बेलगाँव एवं थरवार का क्षेत्र .
  4. दक्षिणी प्रान्त - जिंजी एवं उसके आस पास का क्षेत्र .


शिवाजी की मंत्रिमंडल  


मराठा साम्राज्य का  पूरा सञ्चालन एक मत्रियों का समूह के माध्यम से किया जाता था , जिसे 'अष्ट प्रधान' नाम से जाना जाता था - 

पेशवा प्रधानमंत्री - राज्य का प्रशासन एवं अर्थव्यवस्था का देख रेख 
सर ए नौबत सेनापति - सैन्य सम्बन्धी कार्य 
अमात्य या मजुमदार राजस्व मंत्री - आय व्यय का लेखा जोखा तयार करता था 
वकयानिस गुप्तचर एवं संचार विभाग प्रमुख 
चिटनिस चिट्ठी /डाक विभाग प्रमुख 
सुमंत या दबीरविदेश मंत्री 
पंडित राव या दनाद्यक्ष धार्मिक मंत्री 
न्यायधीश न्याय विभाग के प्रमुख 

शिवाजी की  कर व्यवस्था 

भूमिकर ,चौथ एवं सरदेशमुखी राजस्व के प्रमुख स्रोत थे .इसके अतिरिक्त व्यापर पर कर , उद्योग पर कर , युद्ध में प्राप्त धन , भेंट से भी राजस्व के स्रोत थे .
  • भूमिकर - शिवाजी की कर व्यवस्था मालिक अम्बर की कर व्यवस्था पर आधारित थी .भूमि मापने के लिए काठी ईवा मानक छड़ी का प्रयोग किया जाता था .
  • चौथ - अपने पडोसी राज्यों से आक्रमण ना करने या आक्रमण से बचाने के लिया जाने वाला कर जो कुल राजस्व का एक चौथाई लिया जाता था .
  • सरदेशमुखी - अपने विजित क्षेत्र या अधीन क्षेत्र से लिया जाने वाले कर कुल राजस्व का 10 % लिया जाता था .

शिवाजी की सैन्य व्यवस्था 

  • पागा सेना - यह शिवाजी की नियमित एवं स्थायी वैतनिक घुड़सवार सेना थी .
  • सिहलदार सेना - यह शिवाजी की अस्थायी अवैतनिक घुड़सवार सेना थी .जिसे जरुरत पड़ने पर बुलाया जाता था .
  • पैदल सेना - यह पैदल सेना थी .
इसके अलावा सेना में गुप्तचर ,तोपखाना एवं समुद्री बड़ों की भी व्यवस्था थी .

मराठा सम्राज्य के प्रमुख पेशवा 

प्रथम पेशवा -बालाजी विश्वनाथ (1720 ई में मृत्यु )
  • इन्होने तात्कालिक मुग़ल सम्राट फरूखसियर से समझौता किया .इस समझौते को मराठों का 'मेघना काटा' कहा जाता है .
द्वितीय पेशवा - बाजीराव प्रथम(1720-1740 ई ) 
  • इसे लड़ाकू पेशवा के नाम से  जाना जाता है .
  • शिवाजी के बाद गोरिल्ला युद्ध के प्रतिपादक 
  • मस्तानी नामक महिला से संबंध होने के कारण चर्चित रहा .
तृतीय पेशवा - बालाजी बाजीराव (1740 - 1761 ई)
  • इन्हें नाना साहब के नाम से जाना जाता है .
  • इसके शासनकाल में पानीपत का तृतीय युद्ध हुआ था .

पानीपत का तृतीय युद्ध - 1761 ई

मराठा विरुद्ध अहमदशाह अब्दाली 
मराठा सेनापति - विश्वास राव व् सदाशिव राव 
परिणाम - मराठों का पराजय 

चतुर्थ पेशवा - माधवराव प्रथम(1761-1772 ई )
  • इसने तात्कालिक मुग़ल शासक शाह आलम को पुनः दिल्ली पर बिठाया .
  • क्षय रोग से इसकी मृत्यु .
पंचम पेशवा - नारायण राव प्रथम (1772-73 ई )
  • माधव राव प्रथम का भाई था .
  • चाचा रघुनाथ राव के द्वारा हत्या .
छठा पेशवा - रघुनाथ राव (1773-74 ई )

सातवाँ पेशवा - माधव राव नारायण राव द्वितीय(1774-95 ई ) 
  • नारायण राव का अल्पव्यस्क पुत्र था .
  • अल्पव्यस्क होने के कारण शासन का दायित्व बारभाई नाम के 12 सदस्यों की एक परिषद् करती थी .
  • इसके शासनकाल में प्रथम आंगल मराठा युद्ध हुआ था .
अंतिम पेशवा - बाजीराव द्वितीय (1795-1818 ई )
  • रघुनाथ राव का पुत्र था .
  • इसके शासन काल में द्वितीय एवं तृतीय आंगल मराठा युद्ध हुआ था .

आंगल मराठा युद्ध 


 
प्रथम आंगल मराठा युद्ध 
  • सन 1775-82 ई 
  • माधव नारायण राव द्वितीय विरुद्ध लार्ड वारेन हेस्टिंग्स
  • परिणाम - मराठा विजय 
  • सालबई की संधि -1782 ई

द्वितीय आंगल मराठा युद्ध 
  • सन 1802-1805 ई 
  • मराठा संघ विरुद्ध लार्ड वेलेजली 
  • परिणाम - मराठों का पराजय 
तृतीय आंगल मराठा युद्ध 
  • सन 1816-1818 ई 
  • मराठा संघ विरुद्ध लार्ड हेस्टिंग्स 
  • परिणाम - मराठों का पराजय 



आंगल मराठा युद्ध के दौरान हुई प्रमुख संधियाँ -
सुरत की संधि                        -                 1775ई 
पुरंदर की संधि                        -                 1776 ई
बडगांव की संध                       -                 1779 ई
सालबई की संधि                     -                 1782 ई
बसीन की संधि                        -                1802 ई

देवगांव की संधि                         -         1803 ई
सुर्जी अर्जुन गाँव की संधि             -        1803 ई
राजपुर घाट की संधि                    -         1804 ई
नागपुर की संधि                             -       1816 ई 
ग्वालियर की संधि                         -        1817 ई
पूना की संधि                                 -        1817 ई
मंदसौर की संधि                            -          1818 ई



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